shefali jariwala death लोकप्रिय अभिनेत्री शेफाली जरीवाला अचानक मौत

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 लोकप्रिय अभिनेत्री शेफाली जरीवाला का 42 वर्ष की उम्र में कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया। कार्डियक अरेस्ट में अचानक दिल की धड़कनें रुक जाती हैं जिससे मरीज बेहोश हो सकता है। बॉलीवुड एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला की 42 साल की उम्र में मौत हो गई है। शेफाली के सीने में बीती देर रात दर्द उठा और उनके पति पराग त्यागी उन्हें अस्पताल ले गए। यहां डॉक्टर्स ने शेफाली को मृत घोषित कर दिया है। शुरुआती तौर पर बताया गया कि हार्ट अटैक के कारण शेफाली की मौत हुई है। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। हालांकि शेफाली के परिजनों ने खुलासा किया है कि वे हार्ट समेत दूसरी बीमारियों से जूझ रही थीं।  shefali jariwala husband name = पराग त्यागी 

बुजुर्ग महिला ने झूठे आरोपों मे जी कर ही दम तोड़ दिया और कभी कुछ जवाब नहीं दे सकी।The elderly woman died after living under false allegations and could never answer anything #successmee2

 2019 लोकसभा चुनावों मे नई दिल्ली सीट से कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उतारा था और बीजेपी ने मनोज तिवारी को। नतीजे आये तो तिवारी जीत गए लेकिन जीत के बाद वो शीला दीक्षित जी का आशीर्वाद लेने पहुँचे।

7 महीने बाद दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी थे शीला दीक्षित ने मनोज तिवारी से आग्रह किया कि यदि बीजेपी चुनाव जीते तो दिल्ली की पुरानी सड़के ठीक करवा देना।

दरसल 2012 मे शीला दीक्षित ने बतौर मुख्यमंत्री टेंडर पास किये थे मगर 2013 मे सत्ता से बाहर हो गयी थी।

फिर केजरीवाल का युग आया तो वो LG और केंद्र वाली राजनीति खेलने मे लग गया। ये शीला दीक्षित का बतौर मुख्यमंत्री आखिरी काम था जो केजरीवाल की वज़ह से मझधार मे उलझ गया था। 2019 मे ही शीला दीक्षित की मृत्यु भी हो गयी।

बीजेपी भी 2020 का चुनाव नहीं जीत सकी मगर आप संयोग देखिये कि 2025 मे जब बीजेपी जीती तो बिना शीला दीक्षित को ध्यान मे रखे उसने सड़को का भी वादा किया। हालांकि सड़के बीजेपी का प्रोडक्ट है वो जहाँ भी सरकार बनाती है मुख्य सड़के सबसे पहले ठीक करती है।

लेकिन ये घटना राजनीतिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल है, दिल्ली के इन दो चुनावो मे मनोज तिवारी ने कांग्रेस पर अनेक हमले किये मगर शीला दीक्षित के खिलाफ कुछ नहीं बोला। मनोज तिवारी तो क्या शायद बीजेपी के किसी भी बडे नेता ने नहीं बोला।

शीला दीक्षित का जितना सम्मान कांग्रेस के कार्यकर्ता कर रहे है उतना ही बीजेपी के भी। लेकिन एक दैत्य था जिसने शीला दीक्षित पर लगातार व्यक्तिगत हमले किये थे।

शीला दीक्षित वीआईपी सिक्योरिटी लेती है, बंगले मे रहती है, उनके बाथरूम मे AC लगे है, कामचोर है। इस दुष्ट ने इन्ही झूठे आरोपों के सहारे शीला दीक्षित को पहले बाहर किया और ज़ब खुद सत्ता मे आया तो एक सबूत ना दे सका।

उल्टे खुद ने इन आरोपों को चरितार्थ किया, वीआईपी सिक्योरिटी भी लीं और शीषमहल भी बनवाया।

वीके सक्सेना, वीरेंद्र सचदेवा, प्रवेश वर्मा, बांसुरी स्वराज, कमलजीत शेहरावत और जो भी दिल्ली के प्रभावशाली चेहरे है उनसे बाल मनुहार है कि हम 90 के दशक वालो को राजनीतिक वध देखना है।

जब मुलायम, दिग्विजय और लालू जैसे दुष्टो का चरम था तब उनका अंत देखने के लिये आयु छोटी थी लेकिन केजरीवाल का अंत हम अपनी आँखों से देखना चाहते है।

ऐसी राजनीतिक मौत दो कि भविष्य मे वैकल्पिक राजनीति का व्यापार करने से पहले कोई हजार बार सोचे। पिछले 10 वर्षो मे कितना समय, कितना धन और कितनी ऊर्जा का व्यय हुआ मगर हालात बद से बदतर रहे।

2015 के समय कई लोगो ने शीला दीक्षित जी के खिलाफ झूठे आरोपों मे केजरीवाल का साथ दिया क्योंकि इसमें एक क्रांतिकारी नजर आता था। एक बुजुर्ग महिला ने झूठे आरोपों मे जी कर ही दम तोड़ दिया और कभी कुछ जवाब नहीं दे सकी।

राजनीति का जितना संतुलन केजरीवाल ने बिगाड़ा उतना शायद ही कभी किसी ने बिगाड़ा हो और इसके घाव बहुत लंबे समय तक भारतीय राजनीति मे देखने को मिलेंगे।



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